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समग्र शिक्षा अभियान 2025: जानिए कैसे हर बच्चे को मिलेगा गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का हक

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Neha Gupta

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Updated: 06-08-2025 at 12:28 PM

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समग्र शिक्षा अभियान

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सभी के लिए समावेशी और समान शिक्षा प्रणाली का सपना अब और मजबूत हो गया है, जब 2018 में समग्र शिक्षा योजना की शुरुआत हुई। इस योजना ने सर्व शिक्षा अभियान (SSA), राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान (RMSA) और शिक्षक शिक्षा को मिलाकर एक एकीकृत रूप में स्कूल शिक्षा के लिए एक छतरी योजना बनाई है, जो पूर्व-प्राथमिक से लेकर कक्षा 12 तक के छात्रों को कवर करती है।

भारत न सिर्फ शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर बनाने और सीखने के नतीजों को सुधारने की कोशिश कर रहा है, बल्कि यह भी सुनिश्चित कर रहा है कि समाज के हर वर्ग के बच्चों को समान रूप से शिक्षा तक पहुंच मिल सके।

सारांश

समग्र शिक्षा योजना की मुख्य बातें एक नजर में:

विवरणजानकारी
शुरुआत का वर्ष2018
किसके द्वारा शुरू की गईभारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय द्वारा
जिन योजनाओं को जोड़ा गयाSSA + RMSA + शिक्षक शिक्षा
लक्ष्य समूहपूर्व-प्राथमिक से लेकर कक्षा 12 तक के छात्र
कार्यान्वयन मॉडलकेंद्र प्रायोजित योजना (CSS)
जुड़ा हुआ हैराष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 से
कवरेज15 लाख स्कूल, 25 करोड़ से अधिक छात्र

समग्र शिक्षा योजना क्या है?

समग्र शिक्षा अभियान का उद्देश्य स्कूल शिक्षा को हर स्तर पर बेहतर बनाना है। यह योजना शिक्षा को सुलभ, समान और गुणवत्तापूर्ण बनाने पर ज़ोर देती है। यह पूरे शिक्षा तंत्र को एकीकृत (यानी एक साथ जोड़कर) प्रशासनिक और आर्थिक रूप से सहयोग देती है, जिससे सभी स्तरों पर स्कूलों को पूरा सहयोग मिल सके।

इस योजना के तहत, राज्यों को सीखने के नतीजों, डिजिटल शिक्षा, कौशल शिक्षा, और स्कूलों के बुनियादी ढांचे के विकास में मदद मिलती है — और ये सब एक ही फंडिंग और प्रशासनिक व्यवस्था के तहत किया जाता है।

इस एकीकृत मॉडल से दोहराव कम होता है, जवाबदेही बढ़ती है, और भारत को सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल (SDG) 4 – “सभी के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा” प्राप्त करने में मदद मिलती है।

समग्र शिक्षा योजना के मुख्य उद्देश्य

सरकारी योजना “समग्र शिक्षा” के ज़रिए निम्नलिखित प्रमुख लक्ष्य पूरे करने का प्रयास किया जा रहा है:

  1. स्कूलों की कुल गुणवत्ता को बेहतर बनाना।

  2. समावेशी और समान शिक्षा को बढ़ावा देना।

  3. हर स्तर पर सभी बच्चों के सीखने के नतीजों (learning outcomes) को सुधारना।

  4. राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) को राज्यों में प्रभावी ढंग से लागू करना।

  5. डिजिटल और व्यावसायिक शिक्षा (vocational education) को मज़बूत बनाना।

  6. लिंग और सामाजिक असमानता को दूर करना ताकि हर बच्चे को शिक्षा तक बराबर पहुंच मिल सके।

समग्र शिक्षा योजना के तहत किए जा रहे हस्तक्षेप

अपने लक्ष्यों को पाने के लिए, समग्र शिक्षा योजना स्कूल शिक्षा से जुड़े कई क्षेत्रों में विशेष पहलों को लागू करती है। ये हस्तक्षेप बुनियादी ढांचे से लेकर पढ़ाई के तरीकों तक सभी पहलुओं को छूते हैं।

नीचे कुछ प्रमुख क्षेत्रों और उनके अंतर्गत की जा रही गतिविधियों को बताया गया है:

हस्तक्षेप का क्षेत्रमुख्य गतिविधियाँ / पहलें
पहुंच और बरकरार रहनानए स्कूल खोलना, मौजूदा स्कूलों को मजबूत करना, परिवहन सुविधा, आवासीय स्कूल, बाहर के बच्चों के लिए विशेष प्रशिक्षण
समानताबालिकाओं की शिक्षा पर ज़ोर, विशेष ज़रूरत वाले बच्चों (CWSN) के लिए समावेशी शिक्षा, SC/ST/अल्पसंख्यक समुदायों के लिए योजनाएं
गुणवत्तापूर्ण शिक्षापाठ्यक्रम में सुधार, लर्निंग आउटकम्स का विकास, शिक्षकों का प्रशिक्षण, और कमजोर छात्रों के लिए विशेष पढ़ाई
शिक्षक शिक्षाSCERT और DIET संस्थानों को बेहतर बनाना, हर साल इन-सर्विस ट्रेनिंग, स्कूल प्राचार्यों के लिए नेतृत्व प्रशिक्षण
व्यावसायिक शिक्षामाध्यमिक स्कूलों में व्यावसायिक पाठ्यक्रम, व्यावहारिक कौशल, और उद्योग से जुड़ाव
शिक्षा में आईसीटीस्मार्ट क्लासरूम, कंप्यूटर आधारित शिक्षा, और डिजिटल बुनियादी ढांचा
खेल और शारीरिक शिक्षाखेल किट के लिए अनुदान, स्कूलों में खेल गतिविधियों का आयोजन
बुनियादी ढांचे का विकासकक्षाएं, पुस्तकालय, शौचालय, रैंप, और स्कूल की चारदीवारी का निर्माण
प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल व शिक्षापूर्व-प्राथमिक कक्षाओं का सहयोग, आंगनवाड़ी और प्राथमिक शिक्षकों के लिए ECCE प्रशिक्षण, और बुनियादी साक्षरता
बालिका शिक्षा सहयोगकस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय (KGBV) का विस्तार, जागरूकता अभियान, मुफ्त यूनिफॉर्म और सैनिटरी नैपकिन वितरण

मुख्य विशेषताएं

आइए समझते हैं कि समग्र शिक्षा पोर्टल को भारत की शिक्षा व्यवस्था में एक बदलाव लाने वाला माध्यम क्यों माना जाता है:

विशेष प्रशासनिक व्यवस्था:
एक ही नोडल विभाग के माध्यम से सभी नीतियों को लागू करना और उनका संचालन करना आसान बनता है।

परिणाम-आधारित निगरानी:
असल तथ्यों और रीयल-टाइम डाटा के आधार पर काम की समीक्षा होती है, और प्रदर्शन के अनुसार सहायता (ग्रांट) मिलती है।

राज्यों को स्वायत्तता:
राज्य अपने हिसाब से योजनाएं बना सकते हैं, जिससे स्थानीय ज़रूरतों के अनुसार शिक्षा सुधार हो सके।

डिजिटल शिक्षा पर ज़ोर:
मोबाइल ऐप्स, ऑनलाइन प्रशिक्षण जैसे डिजिटल लर्निंग प्रोजेक्ट्स और कॉमन टीचर ट्रेनिंग पोर्टल को बढ़ावा दिया गया है।

पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP):
निजी क्षेत्र की भागीदारी से न केवल फंडिंग मिलती है, बल्कि नई सोच और नवाचार (innovation) भी जुड़ते हैं।

समग्र शिक्षा योजना का फंडिंग पैटर्न क्या है?

हस्तक्षेप को सफलतापूर्वक लागू करने के लिए वित्तीय सहायता सबसे अहम भूमिका निभाती है। नीचे केंद्र और राज्यों के बीच फंडिंग का वितरण दर्शाया गया है:

क्षेत्रकेंद्र सरकार का हिस्साराज्य सरकार का हिस्सा
सामान्य राज्य (General States)60%40%
उत्तर-पूर्वी और हिमालयी राज्य90%10%
केंद्र शासित प्रदेश (विधानसभा सहित)60%40%
केंद्र शासित प्रदेश (विधानसभा रहित)100%0%

वित्त वर्ष 2023-24 में सरकार ने इस योजना के लिए ₹37,453 करोड़ से अधिक का बजट आवंटित किया है, जो दर्शाता है कि साल दर साल इस योजना में लगातार बढ़ोतरी हो रही है।

समग्र शिक्षा योजना 2.0 के बारे में

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप, शिक्षा मंत्रालय ने साल 2021 में समग्र शिक्षा योजना 2.0 की शुरुआत की। इस संशोधित योजना का मुख्य उद्देश्य है कि सभी बच्चों को बुनियादी साक्षरता और गणना (FLN) का ज्ञान पूरी तरह से मिल सके। इसके तहत निपुण भारत जैसी योजनाएं शामिल हैं, जो शिक्षकों और छात्रों को सही दिशा में सीखने का अवसर देती हैं।

समग्र शिक्षा 2.0 की मुख्य विशेषताएं:

बुनियादी साक्षरता मिशन:
सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में निपुण भारत को वर्ष 2026-27 तक पूरी तरह लागू किया जाएगा।

पूर्व-प्राथमिक से कक्षा 12 तक:
पाठ्यक्रम और सीखने के परिणामों में निरंतरता होगी, जिससे प्रारंभिक बचपन की शिक्षा (ECCE) से लेकर वरिष्ठ माध्यमिक तक एक जैसी और संतुलित शिक्षा मिलेगी।

डिजिटल बुनियादी ढांचे का विस्तार:
पीएम ई-विद्या, दीक्षा और अन्य डिजिटल प्लेटफॉर्म को योजना से जोड़ा गया है।

समावेशी कक्षाओं पर अधिक ध्यान:
विशेष आवश्यकता वाले बच्चों, लिंग समानता और सभी के लिए शिक्षा पर विशेष ज़ोर दिया गया है।

शिक्षकों की क्षमता निर्माण:
इस योजना में शिक्षकों के लिए नियमित प्रशिक्षण और शैक्षणिक संसाधन प्रदान किए जाएंगे, ताकि वे बेहतर ढंग से पढ़ा सकें।

निष्कर्ष

समग्र शिक्षा अभियान ने भारत की शिक्षा नीति में एक नया दृष्टिकोण लाया है, जहां बंटे हुए तंत्र को एक समग्र और छात्र-हितैषी प्रणाली में बदला गया है। यह केवल स्कूल खोलने या शिक्षकों को प्रशिक्षण देने की योजना नहीं है — यह एक सपना है, जिसमें यह विश्वास है कि भारत का कोई भी बच्चा पीछे नहीं रहना चाहिए, चाहे वह देश के किसी भी कोने में हो, उसकी जाति, पृष्ठभूमि या क्षमता कुछ भी हो।

यह योजना सीखने के परिणामों, समावेशिता, और डिजिटल शिक्षा को पारदर्शिता के साथ जोड़ती है, ताकि भारत की विशाल युवा आबादी की ज़रूरतों को पूरा किया जा सके।

सरकारी योजनाओं और नीतियों की ताज़ा जानकारी के लिए जुड़े रहें जागरूक भारत के साथ। भारत के सबसे बड़े जागरूक भारत समुदाय का हिस्सा बनें – अपने विचार, सवाल और पसंदीदा विषय हमसे ज़रूर साझा करें।

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